YOU ARE MINE - 1 in Hindi Love Stories by Nidhi Parmar books and stories PDF | YOU ARE MINE - 1

Featured Books
  • अपराध ही अपराध - भाग 24

    अध्याय 24   धना के ‘अपार्टमेंट’ के अंदर ड्र...

  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

Categories
Share

YOU ARE MINE - 1


शाम के ७.०० बज रहे थे और ट्राफिक बढ़ रहा था । गाड़ियों और ऑटो की आवाज से शोर बढ़ा जा रहा था । तभी वहा पे एक साथ एक ही रंग की गाड़ियां आके खड़ी हो गई , सभी गाड़ियां महंगी लग रही थी लगता था कि कोई बड़ी कंपनी का मालिक होगा नहीं तो कोई पॉलिटिकल पार्टी से होगा। इतना सोच रही थी तभी हरी लाइट हो गई और वो गाड़ियां दुरसी तरफ चली गई और में मेरी घरकी तरफ।
तो चलिए में आज आपको मेरे घरवालों से मिलाती हूं पर एक समस्या है मेरे भाई भाभी वो दोनो कनाडा में है और मेरे मम्मी पापा वो दोनो मुंबई में है तो चलो में उनसे आपको वीडियो कॉल पे मिलाती हूं। में एक IT कंपनी में काम करती हु और में २५ साल की हु और पुणे में अकेली रहती हु । मेरे मम्मी पापा दोनोही डॉक्टर है और दोनों एक हॉस्पिटल चलाते है मेरा भाई भी एक जाना माना वकील है पर उसको पहले से ही विदेशमे रहेनी की ख्वासिश थी इसलिए वो वहा ही रहेता है और मुझे अपना कैरियर खुद बनाना था इसलिए में पुणे में आ गई थी आपको तो पता ही होंगा की पुणे में IT वालो की क्या अहमियत है।
यहां पे कामवाली बाई आसानी से मिल जाती है वो आके मेरे घरका काम कर जाती है और बाद में खाना बनाने वाली बाई खाना बनाके जाति है बस ऐसे ही मेरी जिंदगी गुजर रही थी । मेरे मम्मी पापा दोनो हर बार मुझसे कहते थे की कोई तुझे पसंद हो तो बोल दे हम तुम्हारी शादी करवा देंगे लेकिन मुझे इस सब के लिए टाइम ही नहीं मिल रहा था । काम वाली बाई भी बोलती थी दीदी कोई तो अपने लिए ढूंढ लो जो आपकी परवाह करेगा ।
में MD MULTINATIONAL कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पे काम करती थी और मेरे नीचे कई सारे लोग काम करते थे । लेकिन में मेरी ही कंपनी के कई लोगोको जानती ही नहीं थी। एक बार एक लंबा चौड़ा आदमी तीन चार लोगो के साथ लिफ्ट में जा रहा था तो मुझे लेट हो रहा था तो में भी उस लिफ्ट में चली गई तो वहा पे वो सभी लोग मेरी तरफ अजीब तरह से देखने लगे पर उसमे से एक आदमी जो अपनी फाइल में ही गुम था मुझे मालूम नही था की वो कोन है पर जब मेरा फ्लोर आया तभी में वहा से निकल गई और अपना काम करने लगी ।
वो आदमी और कोई नही पर वो हमारी कंपनी का CEO था पर मैं कभी उसे मिली ही नहीं थी और में इस बात से अंजान थी । उस दिनके बाद एक बार फिर से मै उस आदमीसे मिली वो भी कंपनी के बाहर रात को ११.०० बजे । मैं अपने नए प्रोजेक्ट पे काम कर रही थी इसलिए समय का पता नही चला था और जब में बाहर निकल के घर जानें लगी तो गाड़ी चालू ही नहीं हो रही थी बहुत कोशिश की पर गाड़ी चालू ही नहीं हो रही थी । मैंने ऑनलाइन अपने लिए कैब बुक कराई तो वो ११.४५ बजे आने वाली थी और में इस बात से परेशान होकर रास्ते पर इधर उधर चलने लगी तभी पीछे से एक आवाज आई ... इतने बजे यहां क्या कर रही हो..? काम का समय कब का ओवर हो गया है और तुम यहां क्या कर रही हो..? और मैने उसे सब कुछ बता दिया । उसने बोला की तुम्हे कोई परेशानी ना हो तो क्या में तुम्हे घर छोड़ दूं ..? मैंने कुछ सोचे बिना ही हा करदी और उसकी काले रंग की गाड़ी में बैठ गई......




TO BE CONTINUE......